चंन्द्रशेखर तिवारी अज़ाद
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फिर आओ भगत सिंह संसद बना काला बाज़ार।
फिर आओ सुभाष गोरे तर भयकर काले दरबार।।
फिर जन्म लो मंगल पाण्ड़े बन कर लहु लुहान।
फिर आओ सुखदेव सिंह मिट्टी कि है पुकार।।
फिर आओ ख़़ुदिराम लुट लो पापीयो का घरबार।
फिर आओ कबि नज़रुल कविता की है दरकार।।
फिर आओ लक्ष्मीबाई महिलाओं का बिखरता सम्मान।
फिर आओ चन्द्रशेखर आज़ादी मांग रही बलिदान।।
फिर गरजो सब बदरा सी बचा लो आन बान।
फिर दहको अग्नि में बन कर विर जवान।।
फिर आओ बचालो भारत को माता कर रही गुहार।
इकिसवी सदी में गोरे एवं काले दिख रहें एक समान।।
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