चंन्द्रशेखर तिवारी अज़ाद
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तेरी बेरंग जिंदगी का मैं जिम्मेदार हुं मेरी वतन माशूका,
मैंने खुद की सोच तुझे तबाह होने दिया।
तेरी छलकती आंसूयों का मैं जिम्मेदार हुं मेरी वतन माशूका,
मैने चंद सिक्को में तेरे दर्द को अलविदा कह दिया।
तेरी बिगड़ती काया का मैं जिम्मेदार हुं मेरी वतन माशूका,
मैने खुद के शक्ल सुधारने में तुझे बर्बाद होने दिया।
तेरी लुटती आबरू का मैं जिम्मेदार हुं मेरी वतन माशूका,
मैने सम्मान के बजार में तुझे निलाम होने दिया।
हां मैं जिम्मेदार हुं, तेरी बेरंग जिंदगी का मैं जिम्मेदार हुं,
मैने तेरी चाहत को भुल खुद को भ्रष्टाचार से जुड़ने दिया।
पर अब मैं बदला हुं, बदला हैं मेरा समा,
अब झुम रहा तेरा आशिक तेरे इश्क में।
तु फिक्र न कर अब तुझे लुटने न दुंगा,
किसी चुनाव में अपना मत बिकने न दुंगा।
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